नई दिल्ली: भारत सरकार ने भारत-म्यांमार की 1643 किलोमीटर दूरी में फैले बॉर्डर पर फेंसिंग लगाने का निर्णय तो ले लिया है, लेकिन इसमें कई तरह की समस्याएं सामने आ रही है। इनमें से एक जो सबसे बड़ी समस्या है। वह है यहां दुर्गम इलाकों में फेंसिंग लगाने के लिए मजदूरों का आसानी से ना मिलना। जिस वजह से फेंसिंग लगाने का यह काम गति नहीं पकड़ पा रहा है। इलाकों के कई संगठन भी लोगों से इस बात की अपील कर रहे हैं कि वह भारत-म्यांमार सीमा पर फेंसिंग लगाने के लिए काम ना करें।
कहां तक फैला है बॉर्डर एरिया
सिक्योरिटी एजेंसियों ने बताया कि 1643 किलोमीटर दूरी में फैले भारत-म्यांमार बॉर्डर में 520 किलोमीटर का इलाका अरुणाचल प्रदेश, 510 किलोमीटर मिजोरम, 398 किलोमीटर मणिपुर और 215 किलोमीटर का इलाका नागालैंड से मिलता है। इन तमाम बॉर्डर इलाकों में फेंसिंग लगाने का काम किया जाना है। लेकिन इन इलाकों के दुर्गम रास्ते, पहाड़ और नदियां भी यहां फेंसिंग लगाने में बाधा बन रही है। जबकि यह बात भी सही है कि फेंसिंग लगाने के लिए ठेकेदार तो मिल भी जाते हैं, लेकिन मजदूर आसानी से नहीं मिल पा रहे।
क्यों नहीं मिल रहे मजदूर
इसका बड़ा कारण है स्थानीय लोगों में से काफी लोगों का फेंसिंग लगाने के इस काम का विरोध करना। इस वजह से दोनों देशों के बीच फेंसिंग लगाने के लिए डबल मजदूरी देने की बात करने के बावजूद मजदूर नहीं मिल पा रहे। इसके अलावा मणिपुर में फिर से कानून और व्यवस्था की बिगड़े हालात के चलते इस इलाके में तो फेंसिंग लगाने काम लगभग रूका हुआ ही है।
फेंसिंग के काम पर एजेंसियों ने क्या कहा
हालांकि, एजेंसियों का कहना है कि फेंसिंग लगाने का काम चल रहा है, लेकिन इस काम में मणिपुर के मोरेह में 10 किलोमीटर तक लगी फेंसिंग के बाद अब और कितने लंबे एरिया में फेंसिंग लगाई जा चुकी है? इस बारे में एजेंसी के सूत्र कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं हैं। जबकि इस साल फरवरी में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भारत-म्यांमार सीमा पर हाइब्रिड सर्विलांस सिस्टम (HSS) लगाने की घोषणा की थी। साथ ही सीमा से लगता पेट्रोलिंग ट्रेक भी बनाने की बात कही गई थी।
कछुआ चाल से चल रहा फेंसिंग का काम
हालांकि, सूत्रों का कहना है कि फेंसिंग लगाने और पेट्रोलिंग ट्रैक बनाने का काम कछुआ चाल से चल रहा है। फेंसिंग के पीछे मणिपुर में पिछले साल से शुरू हुई हिंसा को भी एक अहम कारण बताया गया था। जिसमें आशंका जताई गई थी कि यहां अशांति फैलाने के लिए विदेशी ताकते म्यांमार के रास्ते भारत में उग्रवादियों और सशस्त्र गुट को अंदर करा रही हैं। साथ ही अवैध प्रवासियों के मामले में इलाके में नार्को टेररिज्म फैलाने का भी आरोप है।
फेंसिंग लगी तो एफएमआर का क्या होगा
भारत-म्यांमार बॉर्डर पर अगर फेंसिंग लग गई तो फिर दोनों देशों के बीच मई 2018 में मुक्त आवाजाही समझौते (FMR) की सहमति पर किए गए साइन का क्या होगा। फेंसिंग लगने के बाद फिर दोनों देशों के लोग एक-दूसरे देशों के बॉर्डर से 16-16 किलोमीटर तक अंदर तक नहीं आ-जा सकेंगे। इसके लिए उन्हें पासपोर्ट या वीजा की जरूरत पड़ेगी। जो की अभी नहीं पड़ती। फेंसिंग लगने के बाद यह मुक्त आवाजाही बंद हो जाएगी। दोनों देशों के सीमांत इलाकों में रहने वाले लोग इसका पुरजोर विरोध कर रहे हैं। क्योंकि, कितने ही लोगों के घर, खेत, बिजनेस और परिवार सीमा इलाके में हैं। फेंसिंग लगाने के काम के गति ना पकड़ने के पीछे यह भी एक बड़ी वजह बताई जा रही है।

Author: kesarianews
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