नई दिल्ली: अडानी ग्रुप की कई कंपनियों ने पब्लिक शेयरहोल्डिंग से जुड़े नियमों का उल्लंघन करने के एक मामले को निपटाने के लिए मार्केट रेगुलेटर सेबी से संपर्क साधा है। ग्रुप की चार लिस्टेड कंपनियों पर हेराफेरी के जरिए पब्लिक शेयरहोल्डिंग नियमों का उल्लंघन करने का आरोप है। मॉरीशस के एफपीआई इमर्जिंग इंडिया फोकस फंड्स (EIFF) ने पिछले सप्ताह ₹28 लाख की सेटलमेंट अमाउंट का प्रस्ताव रखा था। सेबी का आरोप है कि यह फंड गौतम अडानी के बड़े सौतेले भाई विनोद अडानी से जुड़ा है। ईटी ने इससे जुड़े दस्तावेजों को देखा है। साथ ही ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज के डायरेक्टर विनय प्रकाश और अंबुजा सीमेंट्स के डायरेक्टर अमीत देसाई ने निपटान राशि के रूप में ₹3-3 लाख की पेशकश की है। अडानी एंटरप्राइजेज ने भी मामले को निपटाने की मांग की है।
कारण बताओ नोटिस
इन चार संस्थाओं के अलावा सेबी ने गौतम अडानी, उनके भाइयों विनोद, राजेश और वसंत, भतीजे प्रणव (विनोद के बेटे) और बहनोई प्रणव वोरा सहित 26 अन्य संस्थाओं को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। इस घटनाक्रम से जुड़े एक अन्य सूत्र ने कहा कि ग्रुप की कंपनियों ने आरोपों का खंडन किया है और सेटलमेंट एप्लिकेशन केवल प्रॉसिजरल है। सूत्र ने कहा, ‘निपटान आवेदन दाखिल करना किसी भी कॉर्पोरेट के लिए सामान्य प्रक्रिया है, जिसे कारण बताओ नोटिस दिया गया है। यदि आप 60 दिनों के भीतर आवेदन दाखिल नहीं करते हैं, तो आप निपटान के अपने अधिकार को खो देते हैं।’
सूत्र ने कहा कि ग्रुप की एंटिटीज ने भी अलग से कारण बताओ नोटिस का जवाब दाखिल किया है, जिसमें आरोपों का खंडन किया गया है और उन दस्तावेजों के निरीक्षण का अनुरोध किया गया है, जिनके आधार पर आरोप लगाए गए हैं। निपटान आवेदन केवल अत्यधिक सावधानी के माध्यम से एक एहतियाती उपाय है। इसका मतलब आरोपों को स्वीकार या अस्वीकार करना नहीं है। नोटिस में इन एंटिटीज से कहा गया है कि कथित उल्लंघनों के लिए उन पर कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए। जांच के दायरे में आने वाली चार लिस्टेड कंपनियां अडानी एंटरप्राइजेज, अडानी पावर, अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन और अडानी एनर्जी सॉल्यूशंस हैं।
कब का है मामला
इन कंपनियों ने दूसरे तिमाही परिणामों में प्रमोटर शेयरहोल्डिंग को सार्वजनिक शेयरहोल्डिंग के रूप में गलत तरीके से वर्गीकृत करने के बारे में कारण बताओ नोटिस मिलने की बात स्वीकार की है। सेबी ने विनोद अडानी और उनकी संबद्ध संस्थाओं ने चार कंपनियों में शेयर हासिल करने के लिए जटिल संरचनाएं स्थापित करके कथित रूप से अर्जित ₹2,500 करोड़ से अधिक के गलत लाभ की वसूली की भी मांग की है।
यह मामला जून-जुलाई 2020 का है जब सेबी को अडानी ग्रुप की कंपनियों के मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग आवश्यकताओं का पालन न करने के बारे में शिकायतें मिली थीं। नियमों के अनुसार, किसी लिस्टेड कंपनी को कम से कम 25% की सार्वजनिक शेयरधारिता बनाए रखनी चाहिए। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कंपनी की इक्विटी का एक सार्थक हिस्सा सार्वजनिक रूप से कारोबार किया जाए और शेयरों के कारोबार में पर्याप्त तरलता हो। सेबी ने 23 अक्टूबर, 2020 को एक औपचारिक जांच शुरू की, जिसमें 1 सितंबर, 2012 से 30 सितंबर, 2020 तक के लेन-देन की जांच की गई।
Author: kesarianews
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