नई दिल्ली: देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) वी अनंत नागेश्वरन का कहना है कि जमीन के इस्तेमाल में आवश्यकता से अधिक नियम-कानून हैं। इसी वजह से भारत में छोटे और मंझोले कारोबारियों (SMB) के लिए मैन्यूफैक्चरिंग को मुश्किल बना रहे हैं। उन्होंने नियमों में बड़े बदलाव की वकालत की है।
बड़ी कंपनियां का भी सहयोग नहीं
एक्ज़िम बैंक (Exim Bank) के एक कार्यक्रम में सोमवार को नागेश्वरन ने बड़ी कंपनियों द्वारा छोटी संस्थाओं, जिनमें कच्चे माल के आपूर्तिकर्ता भी शामिल हैं, को समय पर भुगतान करने की सरकारी नीति के विरोध पर भी ध्यान दिलाया। नागेश्वरन ने कहा, “देखिए इस देश में अभी भी कैसा व्यवहारिक विरोध चल रहा है, जहां बड़े उद्यम अभी भी सूक्ष्म और लघु उद्यमों को अपने लिए कार्यशील पूंजी के स्रोत के रूप में देखते हैं, बजाय इसके कि वे सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए कार्यशील पूंजी का स्रोत बनें।”
बड़ी कंपनियों को सहयोगी बनना चाहिए
उन्होंने यह भी कहा, “इस देश में अभी भी कैसा व्यवहारिक विरोध चल रहा है। यहां बड़ी कंपनियां छोटी कंपनियों को अपने लिए वर्किंग कैपिटल का सोर्स समझती हैं। उल्टा होना चाहिए, बड़ी कंपनियां छोटी कंपनियों के लिए वर्किंग कैपिटल का सोर्स बनें।” सीईए ने दोहराया कि ज़मीन के इस्तेमाल सहित नियमों में ढील, 31 जनवरी को पेश किए जाने वाले अगले आर्थिक सर्वेक्षण में प्रमुखता से शामिल होगी।
जमीन का अधिकतम इस्तेमाल हो
उन्होंने कहा कि SMB ज़मीन के भूतल के 20-30% हिस्से का भी इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। इससे पता चलता है कि नियम भारत में ज़मीन के अधिक या सही इस्तेमाल optimal use के खिलाफ हैं। चूंकि वैश्वीकरण पहले की तुलना में धीमी गति से बढ़ने की उम्मीद है, “कृषि और खाद्य सुरक्षा महत्वपूर्ण होने जा रहे हैं, और कृषि निर्यात भारत के लिए एक आर्थिक अनिवार्यता और एक भू-रणनीतिक अनिवार्यता दोनों होगी।” मतलब, दुनिया भर में व्यापार पहले जितनी तेज़ी से नहीं बढ़ेगा। इसलिए खेती और खाना हमारे लिए ज़्यादा ज़रूरी हो जाएंगे। खेती से जुड़ा निर्यात देश की आर्थिक और सामरिक ज़रूरत बन जाएगा।
छोटी कंपनियों को ज्यादा दिक्कत
छोटी कंपनियों को ज़मीन के इस्तेमाल में भी कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कई बार तो उन्हें ग्राउंड फ्लोर का 20-30% भी इस्तेमाल करने की इजाज़त नहीं मिलती। ये नियम ज़मीन के सही इस्तेमाल में रुकावट डालते हैं। सरकार को इन नियमों को आसान बनाने की ज़रूरत है। बड़ी कंपनियों को भी छोटी कंपनियों के साथ बेहतर व्यवहार करना चाहिए। उन्हें छोटी कंपनियों को अपने लिए फंडिंग का ज़रिया नहीं बनाना चाहिए। बल्कि छोटी कंपनियों को आगे बढ़ाने में मदद करनी चाहिए।

Author: kesarianews
शैलेन्द्र मिश्रा शैली 'केसरिया न्यूज़ डॉट कॉम' के फाउंडर और स्वामी हैं । आप मध्यप्रदेश के जाने माने युवा पत्रकार हैं। आप निरंतर 15 वर्षों से सक्रिय पत्रकार हैं एवं विभिन्न और प्रसिद्ध नेशनल, रीजनल टीवी न्यूज़ चैनल्स एवं अख़बार मे मे बतौर एडिटर, पॉलिटिकल एडिटर, विशेष संवाददाता के रूप मे लम्बे समय तक कार्यरत रहे हैं। आप मप्र सरकार द्वारा राज्य स्तरीय अधिमान्य पत्रकार हैं एवं आपकी वेबसाइट MIB (केंद्र सरकार के विभाग) द्वारा भी डिजिटल पालिसी मे पंजीकृत है। पिछले 11 वर्षों से निरंतर केसरिया न्यूज़ डॉट कॉम को सक्रिय भी रखे हुए हैं अपनी टीम के सहयोग से। आप (शैलेन्द्र मिश्रा एवं अन्य सहयोगी ) केसरिया न्यूज़ के माध्यम से मप्र, छत्तीसगढ़ सहित देश और अन्य प्रदेशों की महत्वपूर्ण, लोकहित, जनहित की ख़बरों को प्राथमिकता देते हुए सामाजिक एवं राजनैतिक विषयों पर साहस और निर्भीक होकर नज़र बनाए रखते हैं। आशा है आप पाठक, दर्शक गण केसरिया न्यूज़ की वेबसाइट, यू ट्यूब डिजिटल चैनल सहित अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे फेसबुक ट्विटर एवं अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म जहाँ केसरिया न्यूज़ उपलब्ध है को भी अपना प्रेम आशीर्वाद एवं मार्गदर्शन देते रहेंगे। कृपया नक़लचीयों से सावधान रहें एवं अधिकृत व्यक्ति शैलेन्द्र मिश्रा शैली से ही व्यक्तिगत मिलकर या...