भोपाल में 2 दिन पहले हुई ओपन स्टेट एथेलेटिक्स चैम्पियनशिप में डिप्टी कलेक्टर विनोद सोनकिया ने 200 मीटर रेस में गोल्ड मेडल जीतकर सबको चौका दिया। उनकी रेस 10-20 नहीं, बल्कि करीब 200 एथेलेटिक्स से थी। इनमें हर उम्र के एथेलेक्टिस थे, लेकिन 53 साल उम्र में भी सोनकिया ने सबको मात देकर गोल्ड हासिल कर दिया।
अब वे नेशनल में दौड़ेंगे। इसकी तैयारी वे टीटी नगर स्टेडियम में रोज सुबह 18 से 22 साल उम्र के एथेलेक्टिस के साथ कर रहे हैं। कभी वे बचपन में अपने गांव के खेल मैदान में गड्ढों की वजह से रेस पूरी नहीं कर पाए थे, लेकिन जब दौड़े तो मेडल्स की झड़ी लगा दी। इस बीच 17 साल का ब्रेक और फिर कमबैक की उनकी कहानी भी दिलचस्प है।
अब इन्हें ‘फ्लाइंग’ अफसर के नाम से पहचाना जाने लगा है
गोल्ड मेडल जीतकर फिर सुर्खियों में आए भोपाल के एसडीएम सोनकिया स्टेट एथेलेटिक्स फेडरेशन की चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर सुर्खियों में आए हैं। इसमें करीब 600 एथेलेटिक्स ने हिस्सा लिया। 200 मीटर में करीब 200 एथेटेलिक्स शामिल हुए। इसी में सोनकिया ने गोल्ड जीत लिया। अब वे 4 से 9 मार्च तक बेंगलुरू में होने वाली 45वीं नेशनल एथेलेटिक्स चैम्पियनशिप में हिस्सा लेंगे।
नौवीं में जिद करके ट्रैक पर उतरे, पर रेस पूरी नहीं की सोनकिया बताते हैं, 1985 में नौवीं क्लास में था। तब 14 साल उम्र थी। तब स्कूल में संभाग स्तरीय प्रतियोगिता हुई। जिद में ट्रैक पर उतर गया, लेकिन बिना तैयारी के। 100 मीटर दौड़ में हिस्सा लिया, लेकिन गड्ढों की वजह से गिर गया। दूसरी ओर, आखिरी पाइंट पर पापा इंतजार कर रहे थे, पर मैं पहुंचा ही नहीं। ये बात चूभ गई और ठान लिया कि अब जमकर दौडूंगा।
इसी बीच साल 1989 में कॉलेज पहुंच गया। यहां कोच की देखरेख में ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी टूर्नामेंट में उतरा। साल 1992 में बनारस में ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी टूर्नामेंट हुआ था। जिसमें 200 मीटर की दौड़ 22.7 सेकेंड में पूरी कर ली। यह उस समय रिकॉर्ड बन गया। लगातार 5 साल तक यूनिवर्सिटी चैम्पियन रहा।
नौकरी की तलाश में छोड़ दिया दौड़ना सोनकिया ने बताया, कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी की तलाश शुरू करने लगा। इस कारण वर्ष 1995 से दौड़ना बंद कर दिया। इसी दौरान 1 साल बड़ौदा डिवीजन में स्टेशन मास्टर और इसके बाद 11 महीने तक टीकमगढ़ में डिप्टी जेलर रहा। साल 1999 में नायब तहसीलदार बना। मैदानी नौकरी होने से दौड़ना ही भूल गया, जो लगातार 2012 तक रहा। 17 साल तक दौड़ से दूर रहा।
ऐसे हुआ कमबैक…ब्लड प्रेशर बढ़ा मिला, रातभर सो नहीं पाया साल 2013 में सोनकिया की छतरपुर में बतौर तहसीलदार पद पर पोस्टिंग थी। इसी दौरान उन्होंने ट्रैक पर फिर कमबैक किया। इस बारे में सोनकिया बताते हैं कि मैं और मेरे चाचा एक शादी से लौट रहे थे। तभी रास्ते में उनकी तबीयत बिगड़ गई। तुरंत डॉक्टर के पास लेकर पहुंचा और कुछ जांचें करवाईं। तहसीलदार होने के नाते डॉक्टर ने मेरी भी ब्लड प्रेशर की जांच कर दी, जो बढ़ा हुआ निकला।
सोनकिया बताते हैं कि ये जांच करवाने के बाद पूरी रात सो नहीं पाया। अगले दिन फिर से जांच करवाई तो कोलेस्ट्रॉल भी ज्यादा निकला। इसे कम करने के लिए योग और दौड़ना शुरू कर दिया। एक अफसर मित्र ने बताया कि सिविल सर्विसेस ऑल इंडिया होता है। फिर ठान लिया कि इसमें भाग लूंगा। इसी बीच भोपाल आ गया। टीटी नगर स्टेडियम में कोच एसके प्रसाद की गाइड में प्रैक्टिस शुरू की।
विदेश में दौड़े, लगातार 3 साल सिल्वर जीते वापस ट्रैक पर उतरने के बाद सोनकिया ने कई मेडल जीते। सिविल सर्विसेस में 3 सिल्वर मेडल जीत चुके हैं। वहीं, ओपन मास्टर में उनके पास 7 मेडल है। साल 2013 में वर्ल्ड मास्टर एथेलेटिक्स ब्राजील में हुई थी। 2014 में एशियन चैम्पियनशिप जापान और 2016 में सिंगापुर में हुई एशियन चैम्पियनशिप में भी मेडल जीते।
आधी से भी कम उम्र के एथेलेटिक्स के साथ प्रैक्टिस सोनकिया अपनी से आधी उम्र के एथेलेक्टिस के साथ प्रैक्टिस करते हैं। उन्होंने बताया, 18 से 22 साल तक के उम्र के बच्चों के साथ प्रैक्टिस करता हूं। ताकि, उनकी तरह ही ट्रैक पर दौड़ सकूं।
इस साल दो चैम्पियनशिप इस साल धर्मशाला और बेंगलुरु में दो ऑल इंडिया चैम्पियनशिप होनी है। इसमें सोनकिया हिस्सा लेंगे।

Author: kesarianews
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