जब कृपा बरसती है तो फिर ऐसा ही होता है।
MP के जल संसाधन विभाग में संविदा प्राप्त रिटायर्ड अधीक्षण यंत्री के हाथों में महत्त्वपूर्ण प्रमुख अभियंता पद की कमान!
भोपाल, 11/जुलाई/2023
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केसरिया विशेष, शैलेंद्र मिश्रा शैली – 9425030127
मध्यप्रदेश का जल संसाधन विभाग इन दिनों चर्चा में है। क्योंकि इस विभाग में महत्त्वपूर्ण सिंचाई योजनाओं को पूरा किया जाता है। जिनमे प्रमुख रूप से बांध और नहर के कार्य होते हैं। #MPWRD
किसानों के लिए नहरों का निर्माण,एवं देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्त्वपूर्ण नल जल योजना के लिए पानी की मुख्य व्यवस्था भी सिंचाई विभाग के द्वारा ही की जाती है। जबकि नल जल योजना का सिबिल का कार्य PHE विभाग का जल निगम करता है और श्रेय भी लेता है।
अब आते हैं जल संसाधन विभाग पर जिसने इन दिनों एक रिटायर्ड/सेवानिवृत अधीक्षण यंत्री ( सुप्रीटेंट इंजीनियर) को पहले संविदा पर नियुक्ति दी फिर प्रभार दिया प्रमुख अभियंता का और इसके ठीक पहले, टेंडर एवं बजट का कार्य भी दिया गया एवं महत्त्वपूर्ण प्रोजेक्ट नर्मदापुरम की जिम्मेदारी भी दी गई और बाद में प्रमुख अभियंता का प्रभार दे दिया।
जबकि इस पद पर किसी वरिष्ठ मुख्य अभियंता को ही बैठाया जाता रहा है और ऐसा नहीं है की विभाग में इस पद के लिए योग्य/अनुभवी व्यक्ति न हो, लेकिन सेटिंग और भ्रष्टाचार में डूब चुके कुछ लोगों ने इस महत्वपूर्ण पद को भी नही छोड़ा!
चर्चा है की इस पद के हिसाब से अयोग्य,अनुभवहीन और संविदा पर नियुक्ति प्राप्त अधीक्षण यंत्री स्तर के व्यक्ति को ये कार्यभार क्यों सोपा गया! ये भी सोचने का विषय है ?
ऐसा किसी भारी भरकम राजनेतिक संरक्षण के चलते ही संभव हुआ होगा।
जबकि इस पद पर हमेशा कोई वरिष्ठ मुख्य अभियंता स्तर का व्यक्ति ही रहा है। क्योंकि वरिष्ठ प्रमुख अभियंता के बाद , मुख्य अभियंता आता है लेकिन ये महाशय शिरीश कुशवाह जो की अधीक्षण यंत्री से रिटायर होते ही इतनी कृपा के पात्र हुए के अपने पद से दो पद ऊपर जाकर आसीन हो गए और जिस दिन इनके चार्ज के आदेश निकले उन्ही दिनों प्रधानमंत्री एमपी की यात्रा पर थे। इस से ये मालूम पड़ता है की एमपी में अफसर शाही और राजशाही ! दोनो हावी है।
विभाग में एक जानकारी अनुसार अधीक्षण यंत्री स्तर के दस वर्ष की सेवा पूरी करने वाले अनुभवी अधिकारी वर्तमान में मोजूद हैं। अधीक्षण यंत्री पद के लगभग 10 लोग विभाग में कार्यरत है।
नियमित जो पदोन्नति के योग्य हैं और उनमें कुछ अनुसूचित जाति और आदिवासी वर्ग के भी हैं उनको दरकिनार कर एक रिटायर्ड संविदा प्राप्त अधीक्षण यंत्री को इस पद का चार्ज देना निश्चित ही दाल में कुछ काला होने का इशारा करता है।
जानकारी अनुसार जबसे ये विभाग बना है तबसे अभी तक इस पद पर वरिष्ठ मुख्य अभियंता ही रहा है जो वरिष्ठ अधीक्षण यंत्री से प्रमोशन होकर पहले मुख्य अभियंता बनता है फिर प्रमुख अभियंता।
यदि इस महत्वपूर्ण पद पर किसी संविदा अधिकारी की नियुक्ति करनी ही थी तो पूर्व के अधिकारियों का कार्यकाल भी बढ़ाया जा सकता था और अनुभव प्राप्त व्यक्तियों में से किसी की सेवाएं ली जा सकती थी।
ज्ञात रहे इस विभाग में हजारों करोड़ रुपए की मेहत्त्वपूर्ण योजनाएं भी शामिल हैं और इस विभाग का बजट कई हजार करोड़ में होता है!
Author: kesarianews
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