रेलवे हटा रहा अंग्रेजों द्वारा निर्मित नैरोगेज ट्रैक के 120 साल पुराने ब्रिज

मुरैना। श्योपुर-मुरैना-ग्वालियर नैरोगेज ट्रैक की तरह इस ट्रेन के पुल भी अब इतिहास बन जाएंगे। अंग्रेजाें के जमाने के इन पुलों को रेलवे अब नष्ट कर रहा है। इसकी शुरुआत नैपरी-कैलारस के बीच क्वारी नदी पर बने पुल से हो चुकी है। इसके बाद अन्य नदियों पर लोहे की मजबूत एंगलों से बने नैरोगेज के सभी पुलों को उखाड़कर उनका लोहा नीलाम कर दिया जाएगा।
गौरतलब है, कि ग्वालियर से मुरैना हाेते हुए श्योपुर तक नैरोगेज ट्रेन साल 1904 में शुरू हुई थी। 199 किलोमीटर लंबे इस नैरोगेज ट्रैक पर 26 रेलवे स्टेशनों के अलावा आसन, क्वारी, कूनों, पार्वती आदि कई नदियों और चंबल नहर पर भी लोहे के पुल बनाए गए थे। इस रूट पर बड़ी ट्रेन चलाने के लिए 22 मार्च 2020 से नैरोगेज ट्रेन का संचालन बंद कर दिया गया था। इसके बाद साल 2022 से नैरोगेज ट्रेन की पटरियों को उखाड़ कर ब्रॉडगेज लाइन का काम शुरू हो गया।
वर्तमान में ग्वालियर के बिरला नगर से लेकर कैलारस तक का ब्रॉडगेज ट्रैक पूरी तरह तैयार है और इस पर ग्वालियर से जौरा तक मेमू ट्रेन भी चलने लगी है। इसके बाद अब रेलवे ने 120 साल पहले बने नैरोगेज ट्रेन के पुलों को भी डिस्मेंटल करना शुरू कर दिया है। इसके लिए रेलवे ने एक कंपनी को ठेका दिया है, उक्त कंपनी ने नैपरी पुल का अस्तित्व मिटाना शुरू कर दिया है। इस महीने के अंत तक क्वारी नदी पर बना छोटी रेल का यह पुल पूरी तरह गायब हो जाएगा। नदीं पुल के लिए बनाए गए पिलर भी नजर आएंगे।
रेलवे ने 120 साल पहले मुरैना से सबलगढ़ के बीच नदियों पर ऐसे पुलाें का निर्माण किया था जो बेहद मजबूत होने के साथ-साथ एक ही पुल से ट्रेन के अलावा अन्य वाहन भी निकलते थे। नैपरी, सिकरौदा पुल ऐसे थे, जिन पर लगभग 14 फीट चौड़ी डामर की सड़क थी और सड़क के बीचोंबीच नैरोगेज ट्रेन की पटरियां डली थीं। जब ट्रेन निकलती थी तब फाटक बंद कर अन्य वाहनाें को बंद कर दिया जाता था। हटाए जा रहे नैपरी के पुल से अब तक छोटे वाहन व ग्रामीण निकलते थे, इस पुल के हटने के बाद नैपरी सहित आसपास के गांवों के लोगों को कैलारस आने के लिए तीन किलोमीटर का फेरा लगाकर आना पड़ेगा।
वर्तमान में ग्वालियर के बिरला नगर से जौरा के अलापुर रेलवे स्टेशन तक मेमू ट्रेन चल रही है। रेलवे कैलारस तक का रेलवे ट्रैक पूरी तरह तैयार कर चुका है, जिस पर 120 किलोमीटर की रफ्तार से ट्रेन चलाने का ट्रायल भी पूरा हो चुका है। 16 मार्च को जब जौरा तक ट्रेन का फेरा बढ़ाया गया, तब उम्मीद थी कि यह ट्रेन कैलारस तक जाएगी, लेकिन रेलवे की कुछ जांच टीमों ने कैलारस-जौरा के बीच के ट्रैक को लेकर अपनी रिपोर्ट नहीं दी। माना जा रहा है, कि मार्च महीने के अंत तक रेलवे मेमू ट्रेन का संचालन केलारस तक शुरू कर देगा। उधर कैलारस से सबलगढ़ तक के रेलवे ट्रैक पर भी 80 फीसद से ज्यादा काम हो चुका है और लोकसभा चुनाव के बाद ब्रॉडगेज ट्रेन को ग्वालियर से सबलगढ़ तक चलाना शुरू कर दिया जाएगा।

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Author: kesarianews

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