बालाघाट। नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि से चार दिन पहले यानी 23 मार्च की देर रात कांग्रेस ने बालाघाट-सिवनी सीट से सम्राट सिंह सरस्वार को अपना अधिकृत प्रत्याशी घोषित कर दिया। इसके साथ ही सम्राट की सालों पुरानी टिकट के लिए की जा रही तपस्या पूर्ण हो गई।
जिला पंचायत सदस्य और जिला पंचायत के अध्यक्ष सम्राट सरस्वार की लंबे समय से पिता अशोक सिंह सरस्वार की तरह विधायक बनने की इच्छा थी, लेकिन हर चुनाव में टिकट को लेकर उनके प्रयास विफल साबित हो रहे थे। इस बार भी उन्होंने सांसद टिकट की दावेदारी पेश की और उनकी मुराद कांग्रेस ने सुन ली। हालांकि, कांग्रेस से पूर्व विधायक हिना कावरे सांसद प्रत्याशी की प्रबल दावेदार थीं। उम्मीद थी कि भाजपा से महिला प्रत्याशी से टक्कर लेने कांग्रेस भी हिना कावरे के रूप में महिला उम्मीदवार को उतार सकती है, लेकिन आखिरी वक्त में कांग्रेस ने सम्राट पर दांव खेलकर सबको चौंका दिया।
सम्राट को पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का करीबी माना जाता है, जिसका फायदा उन्हें टिकट के रूप में मिला है। इससे पहले बार-बार टिकट कटने से सम्राट की कई बार अनौपचारिक चर्चाओं में पार्टी के प्रति नाराजगी भी उजागर हुई है। इस बार अंदरखाने से सम्राट भी टिकट पाने की जद्दोजहद में लगे थे।
भले ही सम्राट सिंह सरस्वार ने टिकट पाने में कामयाबी हासिल कर ली हो, लेकिन कांग्रेस के इस फैसले से राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा भी जोर पकड़ रही है कि इस निर्णय से कांग्रेस को फायदे से ज्यादा नुकसान अधिक होगा। कांग्रेस खेमे में ही ये बात सामने आ रही है कि सांसद चुनाव में भाजपा को कांग्रेस से हिना कावरे कांटे की टक्कर दे सकती थीं। हिना कावरे और सम्राट सिंह के राजनीतिक अनुभव की बात करें, तो सम्राट के पास जिला पंचायत सदस्य व अध्यक्ष पद का अनुभव है, बल्कि हिना के पास दो बार विधायक रहने का।
Author: kesarianews
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