नई दिल्ली: साउथ दिल्ली की एक उपभोक्ता अदालत ने ICICI बैंक को ‘सेवा में कमी’ का दोषी ठहराते हुए उसे अपने एक पीड़ित ग्राहक को 50 हजार का मुआवजा देने का आदेश दिया। बैंक ने ग्राहक से डेबिट और क्रेडिट कार्ड चोरी होने की शिकायत मिलने के बाद भी उसके नॉन-रेजिडेंट एक्सटर्नल (NRE) रुपीस सेविंग्स अकाउंट से लगभग डेढ़ लाख के अवैध लेनदेन को होने दिया।
यही नहीं, बाद में बैंक ने अपनी नीति का हवाला देते हुए इस ट्रांजेक्शन को उलटने से भी इनकार कर दिया। उपभोक्ता अदालत ने बैंक को यह रकम ब्याज सहित शिकायतकर्ताओं को वापस करने और मुकदमेबाजी के खर्च के लिए उन्हें 10 हजार अलग से देने का निर्देश दिया है।
अमेरिका में रहता है दंपती
साउथ दिल्ली पार्ट-2 के कंज्यूमर डिस्प्यूट रिड्रेसल कमीशन की अध्यक्ष मोनिका अग्रवाल श्रीवास्तव के फोरम ने राजीव सुकुमरन और उनकी पत्नी राधिका जैन की शिकायत पर पिछले महीने यह फैसला सुनाया। दंपती अमेरिका में रहता है। यहां न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में उक्त बैंक की ब्रांच में उनका अकाउंट है।
क्या है पूरा मामला?
शिकायत के मुताबिक, 4 जून 2019 को अमेरिका में राजीव सुकुमरन के वॉलेट होल्डर से किसी ने उनके डेबिट और क्रेडिट कार्ड चुरा लिए। इसका पता चलते ही उन्होंने संबंधित बैंकों को कॉल कर चोरी की जानकारी दी और अपने कार्ड ब्लॉक करा दिए ताकि अनधिकृत लेनदेन न होने पाए। पुलिस को कंप्लेंट भी दे दी।
इसके बावजूद उन्हें अपने चोरी हो चुके कार्ड के जरिए अनधिकृत लेनदेन के मेसेज मिलने लगे। सिटी बैंक ने तो अनधिकृत लेनदेन को उलट दिया। लेकिन, ICICI में उनके NRE डेबिट कार्ड से अनधिकृत लेनदेन पर तुरंत उनके खाते से पैसा डेबिट हो गया।
कोर्ट ने पाई बैंक की गलती
कोर्ट ने पाया कि कार्ड चोरी होने के बाद उसी दिन एपल स्टोर से 1 लाख 46 हजार 385 रुपये की खरीददारी की गई। अदालत को इसमें कोई विवाद नहीं मिला कि कार्ड सदस्य विवाद फॉर्म विपक्ष बैंक को दिया गया था। बैंक लॉस्ट कार्ड पॉलिसी के तहत अनधिकृत लेनदेन में इस्तेमाल की गई राशि को वापस करने में विफल रहा।
उपभोक्ता आयोग ने माना कि विवादित लेनदेन शिकायतकर्ता का डेबिट कार्ड चोरी होने के बाद किया गया एक POS (पॉइंट ऑफ सेल) लेनदेन था। POS लेनदेन में पिन का इस्तेमाल जरूरी नहीं है। विपक्षी बैंक घटना के संबंध में कोई जांच रिपोर्ट देने में विफल रहा। यह भी साफ नहीं हुआ कि बैंक ने कोई जांच की या नहीं जबकि इसमें शामिल अन्य बैंक, सिटीबैंक ने पहले ही चोरी हुए कार्ड से किए गए अनधिकृत लेनदेन को उलट दिया था।
रिजर्व बैंक के नियमों का दिया हवाला
इन तथ्यों के मद्देनजर आयोग ने कहा कि RBI का सर्कुलर स्पष्ट रूप से कहता है कि तीसरे पक्ष के उल्लंघनों के मामलों में, जहां न तो बैंक और न ही ग्राहक दोषी है, और अगर ग्राहक तीन वर्किंग डे के भीतर अधिसूचना प्रदान करता है, तो दायित्व बैंक का होता है।
इस मामले में शिकायतकर्ता ने उसी दिन बैंक को विधिवत सूचित किया था कि अनधिकृत लेनदेन हुआ है। लेकिन विपक्षी बैंक लेनदेन को उलटने में विफल रहा। इसलिए, आयोग ने बैंक को सेवा में कमी का दोषी पाया।
Author: kesarianews
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