जयशंकर बोले- भारत और चीन रिश्तों में मामूली सुधार:LAC पर अभी भी कई इलाकों में विवाद, शांति के लिए 3 सिद्धांत मानने होंगे

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को भारत-चीन सीमा विवाद पर संसद को जानकारी दी। विदेश मंत्री ने सदन में कहा कि भारत और चीन बातचीत और कूटनीति के जरिए सीमा विवाद सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं। पूर्वी लद्दाख में पूरी तरह से डिसइंगेजमेंट हो चुका है। हालांकि LAC पर अभी भी कई इलाकों में विवाद है। भारत का मकसद ऐसा समाधान निकालना है, जो दोनों देशों को मंजूर हो।

उन्होंने कहा, ‘2020 के बाद से भारत और चीन के रिश्ते सामान्य नहीं हैं। बॉर्डर पर शांति भंग हुई थी, तब से दोनों देशों के रिश्ते ठीक नहीं हैं। हालांकि हाल ही में हुई बातचीत से स्थिति में कुछ सुधार हुआ है।’

विदेश मंत्री बोले- 2 साल में 38 बैठकें हुईं, हर स्तर पर बातचीत हुई

बातचीत, प्रयास और कूटनीति: विदेश मंत्री ने बताया कि भारत और चीन के बीच रिश्ते बेहतर करने के लिए मेरी चीनी विदेश मंत्री से बातचीत हुई। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी अपने समकक्ष चीनी नेता से बातचीत की। इसके अलावा राजनयिक स्तर पर वर्किंग मैकेनिज्म फॉर कोऑपरेशन एंड कोऑर्डिनेशन (WMCC) और सैन्य स्तर पर सीनियर हाईएस्ट मिलिट्री कमांडर्स (SHMC) बैठकें होती हैं। जून 2020 से अब तक WMCC की 17 और SHMC की 21 बैठकें हुईं, तब जाकर 21 अक्टूबर 2024 को देपसांग और डेमचोक क्षेत्रों पर समझौता हुआ। सितंबर 2022 से इन मुद्दों पर चर्चा चल रही थी, जब हॉट स्प्रिंग्स पर अंतिम समझौता हुआ था।

चीन की चुनौती का मजबूती से सामना: जून 2020 की गलवान झड़प में 45 साल बाद पहली बार सैनिकों की जान गई और सीमा पर भारी हथियार तैनात हुए। भारत ने इस चुनौती का मजबूती से सामना किया।

गलवान झड़प ने रिश्ते बिगाड़े: ‘2020 में पूर्वी लद्दाख में चीन ने सीमा के पास बड़ी संख्या में सैनिक तैनात किए, जिससे दोनों देशों के सैनिकों के बीच तनाव बढ़ा। यह स्थिति भारतीय सेना की गश्ती में रुकावट बनी। हालांकि हमारी सेना ने इस चुनौती का मजबूती से सामना किया।’ इसने हमारे प्रयासों को गंभीर नुकसान पहुंचाया और दोनों देशों के रिश्तों पर गहरा प्रभाव डाला।

पहले सारे समझौते असफल रहे: 1988 से भारत-चीन ने सीमा विवाद को बातचीत से सुलझाने और शांति बनाए रखने के लिए कई समझौते किए। 1993, 1996 और 2005 में शांति और विश्वास बहाली के उपाय किए गए। चीन ने 1962 के युद्ध में अक्साई चिन के 38,000 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था। इसके अलावा 1963 में पाकिस्तान ने 5,180 वर्ग किलोमीटर भारतीय जमीन चीन को सौंप दी थी।’

भारत-चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में चार साल से सीमा विवाद को लेकर तनाव था। दो साल की लंबी बातचीत के बाद इसी साल अक्टूबर में दोनों देशों के बीच एक समझौता हुआ, जिसके बाद दोनों देशों की सेनाएं देपसांग और डेमचोक से पीछे हट गई हैं। समझौते के मुताबिक दोनों सेनाएं अप्रैल 2020 से पहली की स्थिति में वापस लौट गई हैं। सेनाएं अब उन्हीं क्षेत्रों में गश्त कर रही हैं, जहां अप्रैल 2020 से पहले किया करती थीं। इसके अलावा कमांडर लेवल मीटिंग अब भी जारी है। 2020 में भारत-चीन के सैनिकों के बीच गलवान झड़प के बाद से देपसांग और डेमचोक में तनाव बना हुआ था। करीब 4 साल बाद 21 अक्टूबर को दोनों देशों के बीच नया पेट्रोलिंग समझौता हुआ। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बताया था कि इसका मकसद लद्दाख में गलवान जैसी झड़प को रोकना और पहले जैसे हालात बनाना है।

जिनेवा में विदेश मंत्री ने कहा था- चीन से विवाद का 75% हल निकला

विदेश मंत्री जयशंकर ने 12 सितंबर को स्विट्जरलैंड के शहर जिनेवा में एक समिट के दौरान कहा था कि चीन के साथ विवाद का 75% हल निकल गया है। विदेश मंत्री ने ये भी कहा कि सीमा पर बढ़ते सैन्यीकरण का मुद्दा अब भी गंभीर है। जयशंकर ने कहा कि 2020 में चीन और भारत के बीच गलवान में हुई झड़प ने दोनों देशों के रिश्तों को बुरी तरह प्रभावित किया। सीमा पर हिंसा होने के बाद कोई यह नहीं कह सकता कि बाकी रिश्ते इससे प्रभावित नहीं होंगे। हालांकि 25 सितंबर को न्यूयॉर्क में एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट में उन्होंने 75% विवाद हल होने वाले अपने बयान को लेकर सफाई दी। उन्होंने कहा, ‘मैंने यह बात सिर्फ सैनिकों के पीछे हटने के संदर्भ में कही थी।

kesarianews
Author: kesarianews

Kesaria News has been working since 2013 to deliver authentic and exclusive news and stories to our readers & supporters. To Build The Nation for Truth. #JayHind