नई दिल्ली: आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन अक्सर चर्चा में रहते हैं। उन्हें मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों का आलोचक माना जाता है। फिलहाल वह अमेरिका के शिकागो बूथ विश्वविद्यालय में पढ़ा रहे हैं। ईटी के साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में राजन ने चुनावी रेवड़ियों पर चिंता जताई। साथ ही उन्होंने अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उस धमकी के बारे में बात की जिसमें उन्होंने भारत पर टैरिफ लगाने की धमकी दी है। राजन ने कहा कि अगर भारत आयात पर टैरिफ कम करता है तो इसमें कोई बुराई नहीं है। पेश है इस इंटरव्यू का संपादित अंश:
बढ़ती राजनीतिक और आर्थिक उथलपुथल के बीच आप ग्लोबल इकॉनमी को कैसे देखते हैं, खासकर ट्रंप प्रशासन के आने की पृष्ठभूमि में?
यह उथलपुथल अब तक हल्की रही है। अमेरिका ने 2018 से चीनी सामान पर टैरिफ लगा दिया था लेकिन उसने वियतनाम और मैक्सिको में आने के तरीके खोज लिए। चिंता यह है कि इस बार अमेरिका गंभीर लग रहा है। इसके तीन कारण है। पहला, डोनाल्ड ट्रंप वैचारिक रूप से मानते हैं कि व्यापार घाटा एक बुरी चीज है और अगर वह इसे खत्म कर देते हैं, तो अमेरिका में अधिक नौकरियां मिलेंगी। दूसरा, उन्हें लगता है कि टैरिफ उनके लिए रेवेन्यू बढ़ाने का एक तरीका होगा। तीसरा, अमेरिका की सरकार में कई लोग चीन पर सख्ती करने के समर्थक हैं। उन्हें लगता है कि जब चीन कमजोर होगा तो उसे पटकने का यह एक तरीका होगा। जब आप तीनों को एक साथ रखते हैं, तो आपको यह मानना होगा कि जब वह 60% टैरिफ की बात करते हैं तो वह मजाक नहीं कर रहे होते हैं। हो सकता है कि तुरंत 60% न हो, लेकिन कुछ गंभीर टैरिफ लागू होने जा रहे हैं। अगर ऐसा होता है, तो चीन अपना माल कहां भेजेगा? यूरोप भी टैरिफ के बारे में सोचना शुरू करने जा रहा है। चीन से आयात करने वाले बहुत से देशों को लगता है कि हमारे पास बहुत सारा माल आने वाला है।
एक तरफ अमेरिका कह रहा है कि भारत के टैरिफ बहुत ज्यादा हैं, उन्हें कम करें। भारत के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा बहुत अधिक है। दूसरी तरफ, हमारे पास दुनिया भर में चीनी सामान की बाढ़ आ गई है। हम चुनिंदा टैरिफ लगाना शुरू कर देते हैं। हम क्या करते हैं? चीन प्लस वन में हमारे पास मजबूत मौका हो सकते है। लेकिन अभी तक हमें इससे बहुत ज्यादा फायदा नहीं हुआ है। हमें लाल कालीन बिछाना चाहिए और इसके लिए तैयार रहना चाहिए। भले ही हमें बढ़े हुए टैरिफ से कुछ नुकसान उठाना पड़े।
भारत के साथ एक स्तर पर यह मोलभाव का खेल अधिक हो सकता है। उनका भारत के साथ व्यापार घाटा है। यदि आप टैरिफ को कुछ हद तक कम करते हैं तो यह पूरी तरह से बुरा नहीं हो सकता है। इसमें कुछ उम्मीद की किरण हो सकती है, लेकिन मुझे संदेह है कि अमेरिका भारत पर किसी तरह का दबाव डालना चाहेगा, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ट्रंप के साथ विशेष संबंध हैं। साथ ही अमेरिका भारत को क्वाड और इसी तरह के अन्य संगठनों में एक महत्वपूर्ण भागीदार के रूप में देखता है।
हमारे सेवा निर्यात के बारे में अच्छी खबर यह है कि वे अमेरिकी निर्यात के समान श्रेणी में आते हैं। अमेरिका दुनिया का सबसे बड़ा सर्विस एक्सपोर्टर है। यहां एक डील हो सकती है क्योंकि हम आंतरिक रूप से उन सेवाओं में से कुछ का संरक्षण करते हैं। उदाहरण के लिए लीगल सर्विसेज। अमेरिका की लीगल फर्म भारत में काम नहीं कर सकती हैं। इसमें कुछ मोलभाव हो सकता है। मैं वास्तव में मानता हूँ कि लो स्किल्ड मैन्यूफैक्चरिंग एक्सपोर्ट का समय जा रहा है। मुझे लगता है कि हमें अपने कंपरेटिव एडवांटेज पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और आज हाई स्किल्ड सर्विसेज का दौर है।
एआई के बारे में क्या?
एआई एक संभावित गेम चेंजर है। लेकिन कौन जानता है? यह अभी भी 10 साल आगे हो सकता है। हम नहीं जानते। हम सभी चैट जीपीटी के साथ काम करते हैं। यह बहुत अच्छे परिणाम देता है। लेकिन क्या आप इस पर इतना भरोसा करेंगे कि इसे अपने नियंत्रण में ले लें? यह भी स्पष्ट नहीं है कि यह सेवाओं को प्रभावित करेगा। आप जानते हैं, हम पहले से ही रोबोट को दृश्य समर्थित एआई का उपयोग करके बहुत बेहतर होते हुए देख रहे हैं। तो यह किस तरह से जाएगा? क्या यह विनिर्माण को प्रभावित करेगा? क्या यह सेवाओं को प्रभावित करेगा? मुझे नहीं लगता कि हम बता सकते हैं। हम जो कह सकते हैं वह यह है कि रचनात्मक सेवाएँ और रचनात्मक विनिर्माण नियमित चीज़ों की तुलना में कम प्रभावित होने जा रहे हैं। इसका मतलब यह है कि हमारा पहला काम अपने लोगों की मानव पूंजी का विस्तार करना है। क्षमता, जैसा कि अमर्त्य सेन कहते हैं।
कैश ट्रांसफर सभी राजनीतिक दलों के लिए खादपानी बन गया है। आप इस तरह के उपायों का सरकारी खजाने पर दीर्घकालिक प्रभाव कैसे देखते हैं?
मुझे लगता है कि यह बहुत चिंताजनक है क्योंकि चुनावों से पहले सरकारें या पार्टियां जिस हद तक वादे कर रही हैं, उससे उच्च गुणवत्ता वाली सार्वजनिक सेवाओं और बुनियादी ढांचे में निवेश करने की उनकी क्षमता पूरी तरह से कम हो जाती है। मुझे लगता है कि बहुत गरीब लोगों के लिए कुछ टारगेटेड बेनिफिट कैश ट्रांसफर वाजिब है। आगे चलकर हमारा डेट जीडीपी के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बनने जा रहा है। हमें 65-60-65% डेट टु डीजीपी की ओर बढ़ना चाहिए। कम से कम हमें उस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।
अगर आपको अगले 1-2 वर्षों में वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए कुछ प्रमुख जोखिमों की पहचान करनी हो, तो वे क्या होंगे?मुझे लगता है कि अन्य जगहों पर अच्छे अवसरों की कमी ने बहुत सारी पूंजी को अमेरिका पर केंद्रित कर दिया है। दुनिया भर में कुल बाजार मूल्य का 65% हिस्सा अमेरिकी बाजार के पास है और अमेरिकी अर्थव्यवस्था वैश्विक अर्थव्यवस्था का लगभग 25% है। ऐसा लगता है कि अमेरिका पर बहुत अधिक ध्यान केंद्रित किया गया है। ये चीजें खत्म हो सकती हैं। मुझे लगता है कि बहुत अधिक निवेश है, जो एसेट की कीमतों पर आधारित हो सकता है, और यदि एसेट की कीमतें स्थिर हैं, तो वह निवेश बहुत खराब लगता है। मेरा मतलब है कि पेंशन फंड, बीमा कंपनियों के बारे में सोचें जो शेयरों में अधिक निवेश कर रहे हैं। अगर चीजें खराब हो जाती हैं तो उन्हें और अधिक गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।

Author: kesarianews
शैलेन्द्र मिश्रा शैली 'केसरिया न्यूज़ डॉट कॉम' के फाउंडर और स्वामी हैं । आप मध्यप्रदेश के जाने माने युवा पत्रकार हैं। आप निरंतर 15 वर्षों से सक्रिय पत्रकार हैं एवं विभिन्न और प्रसिद्ध नेशनल, रीजनल टीवी न्यूज़ चैनल्स एवं अख़बार मे मे बतौर एडिटर, पॉलिटिकल एडिटर, विशेष संवाददाता के रूप मे लम्बे समय तक कार्यरत रहे हैं। आप मप्र सरकार द्वारा राज्य स्तरीय अधिमान्य पत्रकार हैं एवं आपकी वेबसाइट MIB (केंद्र सरकार के विभाग) द्वारा भी डिजिटल पालिसी मे पंजीकृत है। पिछले 11 वर्षों से निरंतर केसरिया न्यूज़ डॉट कॉम को सक्रिय भी रखे हुए हैं अपनी टीम के सहयोग से। आप (शैलेन्द्र मिश्रा एवं अन्य सहयोगी ) केसरिया न्यूज़ के माध्यम से मप्र, छत्तीसगढ़ सहित देश और अन्य प्रदेशों की महत्वपूर्ण, लोकहित, जनहित की ख़बरों को प्राथमिकता देते हुए सामाजिक एवं राजनैतिक विषयों पर साहस और निर्भीक होकर नज़र बनाए रखते हैं। आशा है आप पाठक, दर्शक गण केसरिया न्यूज़ की वेबसाइट, यू ट्यूब डिजिटल चैनल सहित अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे फेसबुक ट्विटर एवं अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म जहाँ केसरिया न्यूज़ उपलब्ध है को भी अपना प्रेम आशीर्वाद एवं मार्गदर्शन देते रहेंगे। कृपया नक़लचीयों से सावधान रहें एवं अधिकृत व्यक्ति शैलेन्द्र मिश्रा शैली से ही व्यक्तिगत मिलकर या...