श्रीलंका की इन दर्दनाक तस्वीरों का सच: फ़ैक्ट चेक

बीते दो दिनों से कुछ वीभत्स तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर की जा रही हैं और दावा किया जा रहा है कि मानवीय त्रासदी की ये तस्वीरें श्रीलंका में हुए सीरियल बम धमाकों के बाद की हैं.

इन तस्वीरों को ट्विटर और फ़ेसबुक के अलावा शेयरचैट ऐप पर भी सैकड़ों बार शेयर किया गया है.

हमने पाया कि इसी दावे के साथ इन तस्वीरों को वॉट्सऐप पर भी अब सर्कुलेट किया जा रहा है.

21 अप्रैल 2019 को श्रीलंका के कई शहरों में हुए सीरियल बम धमाकों में मरने वालों की संख्या बुधवार तक बढ़कर 359 हो गई थी और 500 से ज़्यादा लोग घायल हैं.

लेकिन इन वायरल तस्वीरों की जब हमने पड़ताल की तो पाया कि ये सभी श्रीलंका की पुरानी तस्वीरें हैं जिनका हालिया बम धमाकों से कोई संबंध नहीं है.

सोशल मीडिया

साल 2006 की घटना

इस फे़सबुक पोस्ट में दिख रहीं दोनों वायरल तस्वीरें 16 जून 2006 की हैं.

समाचार एजेंसी एएफ़पी और फ़ोटो एजेंसी गेटी के अनुसार 15 जून 2006 को एक बारूदी सुरंग फटने से इन लोगों की मौत हुई थी. इस हादसे में 60 से ज़्यादा लोग मारे गये थे.

पुरानी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार हमलावरों ने एक बस को निशाना बनाया था.

गेटी

उस समय श्रीलंका की सरकार ने आरोप लगाया था कि इस घटना के पीछे चरमपंथी संगठन ‘लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम’ यानी एलटीटीई का हाथ है.

हालांकि एलटीटीई ने अपनी तरफ से जारी किए बयान में सरकार के आरोप को बेबुनियाद बताते हुए ख़ारिज कर दिया था.

सोशल मीडिया
Image captionफ़ोटो एजेंसी के अनुसार ये दूसरी तस्वीर भी 16 जून 2006 की है

मीडिया रिपोर्ट्स में इस घटना में मरने वालों की संख्या 64 बताई गई थी जिनमें 15 बच्चे शामिल थे. इस घटना में क़रीब 80 लोग घायल भी हुए थे.

कोलंबो की ‘सबसे युवा शहीद’?

सोशल मीडिया पर इस तस्वीर को शेयर कर ये दावा किया जा रहा है कि ‘ईस्टर संडे को श्रीलंका में हुए सीरियल बम धमाकों में मारी गई ये सबसे छोटी बच्ची की तस्वीर है’.

इस वायरल तस्वीर में एक शख़्स बच्ची के शव के क़रीब बैठा हुआ रोता दिखाई दे रहा है. फ़ेसबुक पर मौजूद कई धार्मिक ग्रुप्स में इस तस्वीर को इसी दावे के साथ शेयर किया गया है.

सीरियल बम धमाकों पर लिखे गए कुछ ब्लॉग्स भी हमें मिले जिनमें यह तस्वीर इस्तेमाल की गई है. एक ब्लॉग राइटर ने इस लड़की को ‘कोलंबो की सबसे युवा शहीद’ कहा है.

लेकिन रिवर्स सर्च से हमें पता चला कि यह तस्वीर एक साल पहले से फ़ेसबुक पर शेयर की जा रही है. यानी इस तस्वीर का ईस्टर संडे के हादसे से कोई वास्ता नहीं है.

रिवर्स सर्च से हमें फ़ेसबुक पर इस तस्वीर की जो सबसे पुरानी पोस्ट मिली, वो 12 मई 2018 की है.

इस पोस्ट में फ़ेसबुक यूज़र ने लिखा है, “मैं ये दुख कैसे सहूंगा. प्लीज़, कभी किसी पिता को दुनिया में ऐसी तकलीफ़ का सामना न करना पड़े.”

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Author: kesarianews

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