“भारत जोड़ो यात्रा” का घृणित उद्देश्य “भारत जलाओ” के रूप में कांग्रेस का “चरित्र” खाकी नेकर के जलते “चित्र” से उजागर हो गया : कवि सुमित ओरछा
जोड़ने का बोलकर! जलाने की बात पर,
अंततः आ गये न, आप फिर औकात पर!!
सुमित ओरछा (सुमित मिश्रा )
युवा राष्ट्रीय कवि (वीर रस)
दिल्ली /भोपाल
#भारत_जोड़ो_यात्रा को लेकर कांग्रेस बहुत उत्साहित थी, कुछ पत्रकार भी बहुत उत्साहित थे उन्हें यहाँ से परिवर्तन की उम्मीद तक दिखाई देने लगी थी, यात्रा के योजनाकर्ताओं ने भी कांग्रेस और राहुल गांधी के लिए सर्वाधिक सम्भावना बाले राज्य तमिलनाडु व केरल से यात्रा का शुभारम्भ करवाया ताकि शुरू से ही अच्छा माहौल बन जाये और इस बार राहुल गांधी को नेता के रूप में स्थापित किया जा सके…किन्तु कांग्रेस और राहुल गांधी के पूर्व रिकॉर्ड के आधार पर मुझे पूरा विश्वास था की सेल्फ गोल और हिट विकट जैसे शब्द अगर किसी के लिए ज्यादा उपयोगी हैं तो वो वर्तमान कांग्रेस और उसके अंतिम उत्तराधिकारी राहुल गांधी ही हैं और इसलिए मुझे पूरा विश्वास था की ये ऐसा कोई कारनामा या कुक्रत्य यात्रा के अंत तक अवश्य कर दिया जायेगा जो पूर्व की तरह सब गुड़ गोबर कर देगा, उत्तरप्रदेश में खाट बाँटने से लेकर खाट लुटवाने तक का प्रकरण और उसके बाद कांग्रेस के उत्तरप्रदेश में और ज्यादा कमजोर होने का परिणाम हम सबने देखा ही था लेकिन इसका अनुमान भी मेरा अपेक्षा से कमजोर निकला और इस बार तो खिचड़ी पकने से पहले ही नहीं बल्कि कड़ाही में तेल डालते ही मानो गोबर फेंक कर इस अंतिम प्रयास को भी विफल कर दिया गया हो, वर्तमान कांग्रेस वैचारिक रूप से इतनी ज्यादा कमजोर और दरिद्र है की उसे पता ही नहीं की उसको किस विषय पर विरोध करना चाहिए और किस पर समर्थन! खुद की कोई विचार धारा नहीं होने के कारण वामपंथी विचार पर आश्रित कांग्रेस अपनी राय तय करते समय यह भी भूल जाती है की उसके पूर्वज और सर्वमान्य नेताओं की राय इससे भिन्न थी और वह वामपंथी वैचारिक षड्यंत्र में फंसकर स्वर्गीय इंदिरा गांधीजी और नेहरू जी के विरुद्ध ही अपना पक्ष रख देती है उदाहरण के लिए वीर सावरकर जी पर बहुत सारे तथ्यों से अवगत होने के बाद कांग्रेस ने उनके योगदान को स्वीकार कर लिया था और देश वासियों की भावना के अनूरूप सावरकर जी को सम्मान देते हुए स्वर्गीय इंदिरा जी ने उनके नाम पर डाक टिकट जारी किये थे, लेकिन आज वामपंथियों के षड्यंत्र में फंसी कांग्रेस अभी वीर विनायक दामोदर सावरकर को बदनाम करके भाजपा का नहीं वरन अपने ही पूर्वजों का विरोध करती है और इस कारण देश की जनता कांग्रेस को गंभीरता से लेना बंद कर देती है कांग्रेस संघ के प्रति अपने रवैया को लेकर वामपंथी टूलकिट के रूप में कार्य करती है और यह भूल जाती है इसी संघ के सेवा कार्य, संघ के विचार, अनुशासन और देश के प्रति योगदान के कारण ही महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू संघ के प्रति अपनी सोच को बदल चुके थे और इसी कारण लाल किले की परेड में संघ के स्वयंसेवकों को आमंत्रित किया गया था.. इसे भी मैं कांग्रेस की बड़ी विफलता ही कहूंगा की आज भी उनको राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विषय में एक प्रतिशत भी ठीक आंकलन नहीं है, न वो आज तक संघ की शक्ति को समझ पायी है और न उसकी विशिष्ट कार्य पद्धति को! संघ के लगभग आधा सैकड़ा अनुसांगिक संगठन हैं, जिनमें भाजपा भी एक है और संघ के एक छोटी सी शाखा भाजपा से निरंतर हारने बाली “कांग्रेस” अपने राजनैतिक बचपने का परिचय देते हुए पूरे संघ परिवार को ललकारने लगती है, जो हास्यास्पद है, इसे अगर व्यवहारिक उदाहरण से देखा जाये तो ये ठीक वैसा ही है की कोई व्यक्ति परिवार के एक सदस्य से मार खाते हुए उसके पूरे खानदान को ललकार दे, ताकि परिवार के अन्य सदस्य भी अपना अन्य कार्य छोड़कर उसी के क्रिया कर्म में लग जाएँ | बिलकुल ठीक ऐसा ही कांग्रेस के साथ हो रहा है, जिस दिन कांग्रेस यह समझ गयी शायद उस दिन के बाद ही उसके लिए कोई सम्भावना जाग्रत होगी।
इतना प्रयास करने के बाद कांग्रेस के परामर्श दाताओं ने एक ढंग का कार्य करने का प्रयास किया था लेकिन उसमें भी कांग्रेस वामपंथी विचारकों पर आश्रित होने के कारण वो कर बैठी जिसका मुझे पूरा अंदेशा था, संघ की व्यपाकता से अनभिज्ञ कांग्रेस यह भूल बैठी की केरल में भाजपा हो न हो पर संघ है, संघ सर्वव्यापी है, संघ सर्वस्पर्शी है और संघ का विरोध उसके लिए कहीं से भी हितकर नहीं है | उसने जलती हुए संघ के गणवेश के नेकर का चित्र जारी करके अपने घृणित इरादों को उजागर करके स्वयं को पुनः देश के सामने बेनकाब कर लिया और देश एक बार पुनः यह जान गया की यह यात्रा अपनी पुरानी हिंसक सोच को साकार करने के लिए सत्ता प्राप्ति का हथकंडा है। इसलिए स्पष्ट हो गया की…
बेरोजगारों का तो बहाना है – मकसद संघ को जलाना है
मंहगाई के नाम पर फँसाना है – मकसद संघ को जलाना है
यात्रा निकालकर जनता के बीच जाना है, मकसद संघ को जलाना है
किसानों के नाम पर बरगलाना है, मकसद संघ को जलाना है
और संघ को क्यों जलाना है? क्यूँकि भारत का सांस्कृतिक वैभव मिटाना है, श्री राम मंदिर का निर्माण रुकवाना है, देश में धर्मान्तरण करवाना है, तुष्टिकरण करवाना है, देश में गज़वा ए हिन्द का जिहाद फ़ैलाना है इसलिए संघ को जलाना है इसलिए यह यात्रा भारत जोड़ो यात्रा नहीं, “भारत जलाओ” के उद्देश्य के लिए यात्रा है…
संघ भारतीय सांस्कृतिक और जनचेतना का पुंज है और उसकी गणवेश को जलाने के चित्र के साथ यह भी उजागर हो गया है की देश में अनेक स्वयंसेवकों की निर्मम हत्याओं के पीछे कांग्रेस की घृणित हिंसक सोच और कांग्रेस के गुन्डे ही हैं, राहुल गांधी कहते हैं की कांग्रेस एक सोच है आज वह सोच उजागर हो गयी जो बस्तर में आदिवासियों का सामूहिक नरसंहार करने बाली सोच थी, जो दिल्ली में साधुओं पर गोली चलवाने बाली सोच थी, जो सिखों का नरसंहार करने बाली सोच थी, जो कालेधन के लिए आंदोलन करने बाले आम नागरिकों पर हिंसक कार्यवाही करने बाली सोच थी, जो देश में तुष्टिकरण के लिए दंगे करवाने और बम ब्लास्ट करने बाली सोच थी, सोच जो विपक्षी नेताओं की रहस्यपूर्ण मौतों के पीछे थी, सोच जो गांधी परिवार में हुई रहस्य पूर्ण मौतों के पीछे थी, वही हिंसक और घृणित सोच कांग्रेस के चरित्र के रूप में उस जलते हुए खाकी नेकर के चित्र से उजागर हो गयी!!!
Note : यह लेखक के निजी विचार है,लेखक स्वतंत्र पत्रकार एवं राष्ट्रीय स्तर के कवि हैं
Author: kesarianews
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