भोपाल। मध्य प्रदेश में अब तक के सबसे बड़े साइबर ठगी के नेटवर्क का राजफाश हुआ है। साइबर पुलिस व मध्य प्रदेश आतंकवाद निरोधी दस्ता (एटीएस) के अधिकारियों ने इस नेटवर्क द्वारा दो हजार करोड़ रुपये तक की साइबर ठगी का अनुमान लगाया है।इस नेटवर्क से जुड़े 23 आरोपितों को साइबर पुलिस सतना, जबलपुर, हैदराबाद और गुरुग्राम से पकड़ चुकी है। इनसे की गई पूछताछ और अब तक की जांच में सामने आया है कि आरोपित ठगी की राशि को म्यूल अकाउंट में डालते थे।
हवाला, क्रिप्टो करेंसी का उपयोग
पूछताछ में यह भी पता चला है कि आरोपित हवाला, क्रिप्टो करेंसी आदि का उपयोग भी पैसा इधर से उधर करने के लिए करते थे। म्यूल अकाउंट से दुबई सहित दूसरे देशों में धनराशि भेजने की जानकारी भी मिली है। इस कारण इसे टेरर फंडिंग से जोड़कर देखा जा रहा है।
बता दें कि खुफिया सूचना के आधार पर जबलपुर साइबर पुलिस ने सात जनवरी को मध्य प्रदेश के सतना और जबलपुर जिलों से 12 आरोपितों को गिरफ्तार किया था। उसके अगले दिन छह अन्य को गिरफ्तार किया गया।
हिरासत में छह संदिग्ध
उधर, सात जनवरी को ही मध्य प्रदेश एटीएस ने गुरुग्राम के फ्लैट में दबिश देकर छह संदिग्धों को हिरासत में लिया था, जिसमें बिहार निवासी एक संदिग्ध की मौत हो गई, अन्य पांच को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया था। बताया जा रहा है कि इन आरोपितों में मास्टर माइंड सतना का रहने वाला मोहम्मद मासूक और साजिद खान हैं।
मासूक को गुरुग्राम और साजिद को सतना से गिरफ्तार किया गया था। एटीएस और साइबर पुलिस पूरे नेटवर्क की तह तक जाने में जुटी हुई है, हालांकि गुरुग्राम में हिरासत में एक संदिग्ध मौत के चलते फिलहाल पूछताछ कमजोर पड़ गई।
ऐसे करते थे साइबर ठगी
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, अब तक साइबर ठगी के जो आरोपित पकड़े गए हैं, उनसे पूछताछ में सामने आया है कि वे सरकारी योजनाओं को लाभ दिलाने के लिए लोगों के बैंक खाते खुलवाते थे। आमतौर पर गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) के लोगों को चुनते थे।
चालाकी यह करते थे कि खाते में मोबाइल नंबर अपना डलवाते थे, जिससे बैंक खाते से लेनदेन पर उनका पूरा नियंत्रण रहे। सबसे अधिक ठगी ऑनलाइन गेमिंग के नाम पर की गई। इन सभी के पास से जब्त लैपटाप, मोबाइल फोन, क्यूआर कोड, सिम कार्ड, बैंक खाते आदि की जांच चल रही है। इससे ठगी का पूरा नेटवर्क और राशि का पता चलेगा।
क्या है म्यूल अकाउंट
अपराधी किसी निर्दोष व्यक्ति के दस्तावेज से खाते खोल लेते हैं। किसी व्यक्ति को गुमराह कर उसके खाते का उपयोग करते हैँ। दोनों स्थितियों में अपराध से ऐंठा गया पैसा रखकर अपराधी बैंक गए बिना ही राशि इधर से उधर करते हैं। इन खातों से पैसा कितनी बार, कहां ट्रांसफर हुआ यह पता करना मुश्किल होता है।

Author: kesarianews
शैलेन्द्र मिश्रा शैली 'केसरिया न्यूज़ डॉट कॉम' के फाउंडर और स्वामी हैं । आप मध्यप्रदेश के जाने माने युवा पत्रकार हैं। आप निरंतर 15 वर्षों से सक्रिय पत्रकार हैं एवं विभिन्न और प्रसिद्ध नेशनल, रीजनल टीवी न्यूज़ चैनल्स एवं अख़बार मे मे बतौर एडिटर, पॉलिटिकल एडिटर, विशेष संवाददाता के रूप मे लम्बे समय तक कार्यरत रहे हैं। आप मप्र सरकार द्वारा राज्य स्तरीय अधिमान्य पत्रकार हैं एवं आपकी वेबसाइट MIB (केंद्र सरकार के विभाग) द्वारा भी डिजिटल पालिसी मे पंजीकृत है। पिछले 11 वर्षों से निरंतर केसरिया न्यूज़ डॉट कॉम को सक्रिय भी रखे हुए हैं अपनी टीम के सहयोग से। आप (शैलेन्द्र मिश्रा एवं अन्य सहयोगी ) केसरिया न्यूज़ के माध्यम से मप्र, छत्तीसगढ़ सहित देश और अन्य प्रदेशों की महत्वपूर्ण, लोकहित, जनहित की ख़बरों को प्राथमिकता देते हुए सामाजिक एवं राजनैतिक विषयों पर साहस और निर्भीक होकर नज़र बनाए रखते हैं। आशा है आप पाठक, दर्शक गण केसरिया न्यूज़ की वेबसाइट, यू ट्यूब डिजिटल चैनल सहित अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे फेसबुक ट्विटर एवं अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म जहाँ केसरिया न्यूज़ उपलब्ध है को भी अपना प्रेम आशीर्वाद एवं मार्गदर्शन देते रहेंगे। कृपया नक़लचीयों से सावधान रहें एवं अधिकृत व्यक्ति शैलेन्द्र मिश्रा शैली से ही व्यक्तिगत मिलकर या...